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ग़ज़ल
आँखों के कश्कोल शिकस्ता हो जाएँगे शाम को
दिन भर चेहरे जम्अ' किए हैं खो जाएँगे शाम को
रईस फ़रोग़
ग़ज़ल
सोते सोते चौंक पड़े हम ख़्वाब में हम ने क्या देखा
जो ख़ुद हम को ढूँड रहा हो ऐसा इक रस्ता देखा
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
गूँगी औरत
क्यूँ हैरत से तकती है एक इक चेहरे को
क्या तुझ को शिकवा है तेरी गोयाई की ताक़त